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त्रिभंग मुद्रा

"त्रिभंग मुद्रा " ओडिसी नृत्य से सम्बंधित है।जो कि उड़िसा का पारम्परिक नृत्य है। भरतीय इतिहास में नृत्य एवं नाट्य-कला की एक शारिरिक मुद्रा है। इसमे एक पैर मोड़ा जाता है और देह थोड़ी,किन्तु विपरीत दिशा में कटी और ग्रीवा पर वक्र बनाया जाता है। यह प्राचीन काल से ही भारत का लोकप्रिय नृत्य रहा है।

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चैत्य एवं विहार

चैत्य विहार कुछ शैल कृत बौद्ध गुफाओं को चैत्य कहते हैं। जबकि अन्य को विहार। दोनो में मूल अंतर यह है कि चैत्य पूजा स्थल होते हैं  जबकि विहार निवास स्थल होते हैं। चैत्य का शाब्दिक अर्थ होता है चिता सम्बन्धी।शवदाह के पश्चात बचे हुये अवशेषों को भूमि में गाड़कर जो समाधियाँ बनाई जाती हैं  उसे प्रारम्भ में चैत्य या स्तूप कहा गया। इन समधियों में महापुरुषो के धातु अवशेष सुरक्षित थे। अतः चैत्य उपासना के केंद्र बन गए। चैत्य के समीप ही भिक्षुओं को रहने के लिए आवास बनाये गए जिन्हें विहार कहते हैं।