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Showing posts from March, 2018

यक्षगान

यक्षगान एक थियेटर का प्रकार है जिसमें नृत्य, संगीत, संवाद, वेशभूषा और साजसज्जा आदि का एक विशेष प्रकार से मिश्रण होता है। यक्षगान,कर्नाटक संगीत या भारतीय संगीत से भी ज्यादा अलग है। ऐसा माना जाता है कि उसका वास्तविक स्वरूप कर्नाटक व केरल में बचा हुआ है।

मोहिनी अट्टम

मोहिनी अट्टम नृत्य   केरल के दक्षिणी व पश्चिमी भाग में प्रचलित है। मोहिनी अट्टम का अर्थ है जादुगरनियो का नृत्य। जिसका गुण सम्मोहित करना है।

कलारिपयट्टू

कलारिपयट्टू केरल का एक मार्शल आर्ट है जोकि विश्व की सबसे पुरानी, लोकप्रिय व वैज्ञानिक कला है। मूल रूप से यह केरल के मध्य और उत्तर भाग में,कर्नाटक व तमिलनाडु के नजदीक वाले भाग प्रचलित है।

सत्रीया नृत्य

" सत्रीया नृत्य " भारत के 8 शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। सत्तर शब्द - सत्र से लिया गया है जिसका अर्थ -मठ और नृत्य का अर्थ है-तरीका, असम की वैष्णव मठ में ये नृत्य 500 वर्षों से अभी तक जीवित है। जिसको सत्रास के नाम से जाना जाता है। यह नृत्य नाटिका, मुख्य रूप से असम के वैष्णव सन्त व समाज सुधारक शंकरदेव और उनके परम् शिष्य माधवदेव द्वारा लिखे व निर्देशित किये जाते थे। इसमे भगवान कृष्ण के जीवन पर आधारित संगीत, नृत्य व नाटक द्वारा लीलायें की जाती हैं। सत्रीया नृत्य   जप,कथा ,नृत्य व संवाद का समन्वय है।

भारत छोड़ो आंदोलन

द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों की सहमति के बिना इंग्लैंड द्वारा भारत को युद्ध मे सम्मिलित कर लेने की घोषणा से सन 1937 ईस्वी में नियुक्त मन्त्री मण्डल से त्याग पत्र दे दिया गया। इसके कुछ वर्षों बाद 1942 ईस्वी में क्रिप्स मिशन भारत मे लाया गया परन्तु ये सफल नही हो सका। और इसकी असफलता के बाद 8 अगस्त 1942 को " भारत छोड़ो आंदोलन " प्रारम्भ हुआ।इस आंदोलन को तीव्र गति देने के लिए महात्मा गांधी ने " करो या मरो " का नारा दिया।

साइमन कमीशन

भारत सरकार अधिनियम या मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार 1919 की समीक्षा के लिए सन 1927 ईस्वी में साइमन कमीशन की नियुक्ति की गई। चूँकि इसमे एक भी भारतीय सदस्य नही होने के कारण इसका विरोध किया गया।

निर्वाण

बौद्ध धर्म की सबसे महत्वपूर्ण संकल्पना " निर्वाण " है। यही मनुष्य के जीवन का अंतिम सत्यऔर परम् लक्ष्य है।जब मनुुुष्य की वेदनाओं  और तृष्णाओ का अंत हो जाता है तो उसको निर्वाण प्राप्त हो जाता है।निर्वाण का शाब्दिक अर्थ-" दीपक का बुझ जाना।"

त्रिभंग मुद्रा

" त्रिभंग मुद्रा " ओडिसी नृत्य से सम्बंधित है।जो कि उड़िसा का पारम्परिक नृत्य है। भरतीय इतिहास में नृत्य एवं नाट्य-कला की एक शारिरिक मुद्रा है। इसमे एक पैर मोड़ा जाता है और देह थोड़ी,किन्तु विपरीत दिशा में कटी और ग्रीवा पर वक्र बनाया जाता है। यह प्राचीन काल से ही भारत का लोकप्रिय नृत्य रहा है।

स्वाभिमान योजना

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 फरवरी माह में वित्तीय समग्रता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर " स्वाभिमान योजना " योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य समाज के गरीब व निर्धन व्यक्तियों को आर्थिक सहायता व प्रगति का लाभ व्यवसायिक संवाददाताओं (बैंक साथी) द्वारा प्रत्येक स्तर तक पहुंचना है।

चैत्य एवं विहार

चैत्य विहार कुछ शैल कृत बौद्ध गुफाओं को चैत्य कहते हैं। जबकि अन्य को विहार। दोनो में मूल अंतर यह है कि चैत्य पूजा स्थल होते हैं  जबकि विहार निवास स्थल होते हैं। चैत्य का शाब्दिक अर्थ होता है चिता सम्बन्धी।शवदाह के पश्चात बचे हुये अवशेषों को भूमि में गाड़कर जो समाधियाँ बनाई जाती हैं  उसे प्रारम्भ में चैत्य या स्तूप कहा गया। इन समधियों में महापुरुषो के धातु अवशेष सुरक्षित थे। अतः चैत्य उपासना के केंद्र बन गए। चैत्य के समीप ही भिक्षुओं को रहने के लिए आवास बनाये गए जिन्हें विहार कहते हैं।

शैल कृत गुफाये

ऐलोरा में विभिन्न धर्मों के लिए गुफाएं बनाई गयी थी। बराबर की शैल कृत गुफाये भारत मे चट्टानों को काट कर बनाई गई थी। ये सबसे पुरानी गुफाये हैं जो जैनियों के निवास के लिए सम्राट अशोक और उसके पौत्र द्वारा बनवाई गई थी।

जननी सुरक्षा योजना

                      जननी सुरक्षा योजना यह योजना 100% केन्द्र प्रयोजित योजना है।इस योजना को ऐसे राज्यों और क्षेत्रों में आरम्भ किया गया है जहाँ संस्थागत प्रसव की मांग और सुविधा की कमी है। यह योजना यह सुनिश्चित करने से सम्बन्धित है कि प्रसव पर जन्म कुशल परिकरों द्वारा कराया जाए जिससे मातृत्व मृत्यु दर को कम किया जा सके।