"सत्रीया नृत्य " भारत के 8 शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। सत्तर शब्द - सत्र से लिया गया है जिसका अर्थ -मठ और नृत्य का अर्थ है-तरीका, असम की वैष्णव मठ में ये नृत्य 500 वर्षों से अभी तक जीवित है। जिसको सत्रास के नाम से जाना जाता है। यह नृत्य नाटिका, मुख्य रूप से असम के वैष्णव सन्त व समाज सुधारक शंकरदेव और उनके परम् शिष्य माधवदेव द्वारा लिखे व निर्देशित किये जाते थे। इसमे भगवान कृष्ण के जीवन पर आधारित संगीत, नृत्य व नाटक द्वारा लीलायें की जाती हैं। सत्रीया नृत्य जप,कथा ,नृत्य व संवाद का समन्वय है।
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