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यक्षगान

यक्षगान एक थियेटर का प्रकार है जिसमें नृत्य, संगीत, संवाद, वेशभूषा और साजसज्जा आदि का एक विशेष प्रकार से मिश्रण होता है। यक्षगान,कर्नाटक संगीत या भारतीय संगीत से भी ज्यादा अलग है। ऐसा माना जाता है कि उसका वास्तविक स्वरूप कर्नाटक व केरल में बचा हुआ है।

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चैत्य विहार कुछ शैल कृत बौद्ध गुफाओं को चैत्य कहते हैं। जबकि अन्य को विहार। दोनो में मूल अंतर यह है कि चैत्य पूजा स्थल होते हैं  जबकि विहार निवास स्थल होते हैं। चैत्य का शाब्दिक अर्थ होता है चिता सम्बन्धी।शवदाह के पश्चात बचे हुये अवशेषों को भूमि में गाड़कर जो समाधियाँ बनाई जाती हैं  उसे प्रारम्भ में चैत्य या स्तूप कहा गया। इन समधियों में महापुरुषो के धातु अवशेष सुरक्षित थे। अतः चैत्य उपासना के केंद्र बन गए। चैत्य के समीप ही भिक्षुओं को रहने के लिए आवास बनाये गए जिन्हें विहार कहते हैं।