Skip to main content

पंकज सिन्हा गायक

【【💐🍁पंकज सिन्हा गायक🍁💐】】
_________________________

      🍿 🎂  जन्मदिन पर विशेष🎂🍿
           (🌷10 अप्रैल, 1976🌷)    

_________________________

         🌿🌹कलाकार हो तो ऐसा🌹🌿 

    🌴🌴28 वर्षों से अपने सुरों से सबके दिल पर कर रहे राज 🌴🌴
_________________________

🌴🌴"हो गयी माँ बल्ले बल्ले" अल्बम से मिली अपार सफलता, बने स्टार कलाकार🌴🌴
_________________________

    🦋संगीत की दुनिया में पंकज सिन्हा जौनपुर का एक ऐसा पहला अंतर्राष्ट्रीय कलाकार का नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं।आइये आपसे भी रूबरू करवाते हैं ऐसी शख़्सियत को।।🦋

🍇पंकज सिन्हा जो जिला जौनपुर के निवासी हैं, जिनका जन्म 10 अप्रैल 1976 को मोहल्ला ओलंदगंज, जौनपुर में कायस्थ् परिवार में हुआ। इनके पिता ( स्वर्गीय प्यारेमोहन श्रीवास्तव) उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग में उच्च पद पर कार्यरत थे और माता( श्रीमति मंशालता श्रीवास्तव)  एक कुशल गृहणी हैं।  इनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती बाल मंदिर से आरम्भ हुई एवं तिलकधारी महाविद्यालय से बी. एस.सी.(मैथमेटिक्स), बी.ए.और एम्.ए. की शिक्षा ग्रहण की। संगीत में विशेष रुझान के कारण प्रयाग संगीत समिति, इलाहबाद से गायन और वादन में प्रभाकर की डिग्री हासिल की। सन् 1990 में ही मंच पर गायन की दुनिया में पहला कदम रखा जो तब से आज तक अनवरत् चला आ रहा है। बचपन से ही भजनों में मन रमने के कारण जौनपुर के इस इकलौते हिंदी गायक ने देवी जागरण की शुरुवात दिल्ली जैसे शहर से की। जिसके बाद इस कलाकार ने जौनपुर में जागरण नाम की इस प्रथा की ऐसी शुरुवात की जो आज तक फैलती ही जा रही है। सिन्हा जी ने जौनपुर शहर में जागरण की नींव रखी। इसके पहले जौनपुर वासी जागरण शब्द से अनभिज्ञ थे। इन्होंने अपने भजन के माध्यम से जिले को एक अलग पहचान दिलाई और जिले का सम्मान कई राज्यों में बढ़ाया। हमारे शहर में जगराते में लड़कियों की पहली हाज़िरी लगवाने का श्रेय भी पंकज जी को ही जाता है। अतः   कुछ समर्थकों ने इन्हें भीष्म पितामह की उपाधि दी है तो कुछ ने भजन और ग़ज़ल सम्राट।।

🍒इनका पहला देवी एल्बम " सोनवा के रथ पे" सन् 2000 में नाइस म्यूजिक कंपनी से रिलीज़ हुआ जिसमें मशहूर गायक उदित नारायण जी की पत्नी दीपा नारायण जी ने भी अपनी आवाज़ दी। इसी बीच इनका विवाह सुमन श्रीवास्तव (काशी) से संपन्न हुआ। उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई हिट एल्बम दिए जिसमें चला चली दरबार, गूंजेला जय-जयकार, मैया जी के झूले, अब दूर नहीं दरबार है( रिकॉर्डिंग अलका यागनिक स्टूडियो), चुनरिया लाल-  लाल बा, चरनिया के धूल, हो गयी माँ बल्ले- बल्ले (चन्दा कैसेट्स), सच्चा दरबार, माँ तेरा जगराता है आदि शामिल हैं जिसमें इनको हो गयी माँ बल्ले- बल्ले से अपार लोकप्रियता एवम् ख्याति प्राप्त हुई।

  🌽संगीत के क्षेत्र में यदि ऑल राउंडर शब्द की उपाधि किसी को दी जाए तो पहला नाम आएगा "पंकज सिन्हा",,  क्योंकि गायिकी के साथ लगभग हर वाद्य यंत्र पर इनकी उंगलियां खेलती हैं। ये एक अच्छे गीतकार एवम् संगीतकार भी हैं जो खुद के लिखे गीतों को नई धुनों में ढालते हैं।

🌊पर्यटन और क्रिकेट में भी ये विशेष रूचि रखते हैं। क्रिकेट के क्षेत्र में भी इनको ऑल राउंडर कहना गलत नहीं होगा।

🎹बॉलीवुड गायक कलाकार नितिन मुकेश जैसी आवाज़ के धनी इस गायक ने सन् 2003 एवम् 2004 में राष्ट्रीय युवा महोत्सव प्रतिस्पर्धा में क्रमशः हरियाणा एवम् केरल में (जिला और यूपी टॉप करते हुए) उपविजेता घोषित हुए जिसके बाद तत्काल ही हरियाणा और केरल के मुख्यमंत्री ने रात्रि भोजन पर इनको आमंत्रित कर दिया। यहीं पर ये अन्तर्राष्टीय धावक पी टी उषा के हाथों पुरस्कृत भी हुए।

🎧सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखने वाले सिन्हा जी पहाड़ी वादियों में पर्यटन का विशेष शौक रखते हैं। उसीप्रकार माँ सरस्वती के आशीर्वाद से हिंदुस्तान के अनेक राज्यों जैसे केरल, हरियाणा, उड़ीसा, बिहार, पंजाब, असम, मुम्बई, एम. पी, जम्मू, बंगलौर आदि क्षेत्रों में अपने सुरों का जादू बिखेरते चले आ रहे हैं। पूर्वाञ्चल के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कलाकार होने का श्रेय भी इन्हें ही मिला है। भजन सम्राट नरेंद्र चंचल जी को अपना आदर्श मानने वाले सिन्हा जी ने चंचल,  लक्खा, मनोज तिवारी, रवि किशन आदि के साथ भी कई मंच किये। इनके जीवन में कुछ  यादगार लम्हें भी शामिल हैं जैसे स्टार गायक कलाकार मोहम्मद अज़ीज़, बाबुल सुप्रियो, उदित नारायण, अलका याग्निक, अजय देवगन, कंगना रनौत, म्यूजिक डायरेक्टर दिलीप सेन - समीर सेन, जतिन- ललित और गुलशन कुमार जी से मुलाक़ात।।।

🎤दो बेटियों (भूमिका और कशिश) के पिता होने के कारण ये कन्याओं और गरीबों को विशेष सहायता प्रदान करते हैं। लोक सेवा हेतु इन्होंने कई संस्थाओं जैसे जेसीज़, जेसी, गोमती, लायंस,युवा सुधार मंच एवम् व्यापार मंडल आदि में सदस्यता भी ग्रहण की है। इतना ही नहीं ये  असहायों की सहायता की दृष्टि से प्रतिष्ठित की गयी "शाही संस्था" के स्वयं संस्थापक भी हैं। गरीबों और भूखे लोगों की सहायता करना इन्हें मानसिक शांति प्रदान करता हैं।

🎷इन्होंने जब संगीत की दुनिया में कदम रखा तो संगीत की सुविधाओं का बहुत अभाव था जिसके कारण इन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आने वाली नयी पीढियां इन सुविधाओं से वंचित न रहें इसलिए इन्होंने जनपद में इन्होंने सुर संगम म्यूजिक एंड डांस अकादमी नामक संगीत विद्यालय खोला जो प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से सम्बद्ध है। जहाँ बच्चे गायन, वादन और नृत्य सीखने के साथ साथ संगीत की सभी डिग्रियाँ भी ले सकते हैं। इतना ही नहीं इन्होंने "वॉव म्यूजिक इंडिया" नाम की म्यूजिक कंपनी की शुरुवात भी की है जो  कम ही समय में अत्यंत लोकप्रिय हो रही हैं। इस कंपनी में नए और पुराने सभी कलाकार गा कर अपना गाना रिलीज़ करा सकते हैं।

🎻28 वर्षों में संगीत की शिक्षा (गायन,वादन,नृत्य) देकर ऐसे कई कलाकार पैदा किये जो आज इस क्षेत्र में गा बजाकर जिले का नाम रोशन कर रहे हैं और अपनी आजीविका भी चला रहे हैं। लड़कियों के गायन के प्रचलन की शुरुवात भी सिन्हा जी ने करायी। इतना ही नहीं मंच गायन हेतु जिले में साउंड व्यवस्था की शुरुवात और मरम्मत भी इन्होंने ही करायी। जनपद के स्कूलों में सर्वप्रथम वर्षिकोत्सवों का प्रचलन इन्होंने शुरू किया। अनेक छात्र और छात्राओं को संगीत के क्षेत्र में ऊंचा स्थान दिलाने का श्रेय भी इन्हें मिलता है। जिसमें पहला नाम आता है ऋचा नारायण का जो आज अंतर्राष्ट्रीय कलाकार बनकर पूरी दुनिया में अपना और  अपने गुरु पंकज सिन्हा का नाम रोशन कर रही है। ऐसे कई नाम हमारे पास हैं। दूसरा नाम लेंगे हम शैली गगन का जो इस समय विश्वविख्यात होती जा रही है।  इन कलाकारों के गुरु सिन्हा जी का कभी कोई गुरु नहीं रहा। इनके सर पर किसी का हाथ नहीं रहा।

सुरों की देवी आदिशक्ति भवानी माँ सरस्वती को ही अपना गुरु मानने वाली इस प्रतिभा को यदि हम जौनपुर की महान विभूति का नाम दें तो गलत नहीं होगा। ऐसी ही प्रतिभाओं के कारण हमारी धरोहर की रक्षा सम्भव है। आइये मिलकर ऐसे प्रतिभा को सलाम करते हैं और जन्मदिन की हार्दिक बधाईयाँ देते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

त्रिभंग मुद्रा

" त्रिभंग मुद्रा " ओडिसी नृत्य से सम्बंधित है।जो कि उड़िसा का पारम्परिक नृत्य है। भरतीय इतिहास में नृत्य एवं नाट्य-कला की एक शारिरिक मुद्रा है। इसमे एक पैर मोड़ा जाता है और देह थोड़ी,किन्तु विपरीत दिशा में कटी और ग्रीवा पर वक्र बनाया जाता है। यह प्राचीन काल से ही भारत का लोकप्रिय नृत्य रहा है।

चैत्य एवं विहार

चैत्य विहार कुछ शैल कृत बौद्ध गुफाओं को चैत्य कहते हैं। जबकि अन्य को विहार। दोनो में मूल अंतर यह है कि चैत्य पूजा स्थल होते हैं  जबकि विहार निवास स्थल होते हैं। चैत्य का शाब्दिक अर्थ होता है चिता सम्बन्धी।शवदाह के पश्चात बचे हुये अवशेषों को भूमि में गाड़कर जो समाधियाँ बनाई जाती हैं  उसे प्रारम्भ में चैत्य या स्तूप कहा गया। इन समधियों में महापुरुषो के धातु अवशेष सुरक्षित थे। अतः चैत्य उपासना के केंद्र बन गए। चैत्य के समीप ही भिक्षुओं को रहने के लिए आवास बनाये गए जिन्हें विहार कहते हैं।

स्वाभिमान योजना

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 फरवरी माह में वित्तीय समग्रता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर " स्वाभिमान योजना " योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य समाज के गरीब व निर्धन व्यक्तियों को आर्थिक सहायता व प्रगति का लाभ व्यवसायिक संवाददाताओं (बैंक साथी) द्वारा प्रत्येक स्तर तक पहुंचना है।