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महिला सशक्तिकरण अभियान। भाग- 4

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         वित्तीय  सशक्तिकरण की ओर कदम
             
    महिलाओं को  सशक्त बनाने के लिए उद्यमिता विकास और आय अर्जित गतिविधियां व्यवहारिक साधन मुहैया कराती हैं। सशक्तिकरण की अवधारणा ऐसी प्रक्रिया को परिभाषित करती है जिसमें महिलाओं को, चुनने की पूरी आजादी मिलती है।
               लघु वित्त के साथ स्वयं सहायता समूह (एस एच जी) महिला उद्यमिता और वित्तीय सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं । एसएचजी का लघु ऋण तंत्र सदस्यों को अन्य सामुदायिक विकास  गतिविधियों में शामिल करता है। लघु ऋण का मुख्य उद्देश्य आय उत्पन्न करने वाली गतिविधियों के जरिए गरीबी कम करना है । जैसे- अभिनव फार्मर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी, ग्रासरूट , ग्रामीण बैंक, असम चाय निगम, कुटुंबश्री, इंदिरा क्रांति पधामरे, सक्रिय रूप से ऋण और स्वयं सहायता गतिविधियों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाते हैं ।सूक्ष्म उद्यमशीलता महिला सशक्तिकरण को मजबूत करती है ।और लैंगिक असमानता को दूर करती है।
                    स्वयं सहायता समूह को मुख्य रूप से महिलाओं के लिए स्थापित किया गया है। जो कि तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में काफी सफल रहे हैं। नाबार्ड ने वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के सहयोग से महिलाओं के गैर स्वयं सहायता समूहों के लिए पायलट परियोजना का शुभारंभ किया है।
                   स्वयं सहायता समूह, ऋण की रिकवरी, सदस्यों के बीच बचत को बढ़ावा देने और स्वयं सहायता , आय सृजन करने वाली परि संम्पत्तियों की खरीद के लिए ऋण के प्रभावी उपयोग और महिलाओं के सशक्तिकरण में मदद करती है।
                  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी स्वयं सहायता समूह की भूमिका और वित्त पोषण के महत्व को समझता है। और वह नाबार्ड के सहयोग से महिला उद्यमियों को मध्यम आकार का ऋण प्रदान करता है।
                  महिला उद्यमिता और वित्तीय सशक्तिकरण के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग विकास संगठन (एम एस एम ई- डी ओ), विभिन्न राज्य लघु उद्योग विकास निगम (एस एस आई डी-सी) राष्ट्रीय कृत बैंक और उधमिता विकास कार्यक्रम ( ई डी पी)सहित विभिन्न गैर सरकारी संगठन अनेक कार्यक्रम चला रहे हैं । इन कार्यक्रमों के तहत उन संभावनाशील महिला उद्यमियों की मदद करना है जिन्हें पर्याप्त शिक्षा और दक्षता हाँसिल नहीं है। एम एस एम ई- डी ओ ने कई क्षेत्रों जैसे -टीवी मरम्मत, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, चमड़े के उत्पाद,स्क्रीन प्रिंटिंग इत्यादि में प्रक्रिया/उत्पाद आधारित ई डी पी की शुरुआत की है। महिला उधमियों  की समस्याओं को दूर करने के लिए डीसी कार्यालय (एम एस एम ई ) ने  महिला कक्ष की स्थापना भी की है। महिला उद्यमियों को मान्यता देने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट महिला  उधम पुरस्कार भी देता है।
                भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) महिलाओं के लिए दो विशेष योजनाएं चलाता है। इनमें से एक योजना महिला उद्यम निधि है जो महिला उद्यमियों को इक्विटी प्रदान करती है । दूसरी योजना महिला विकास निधि है जो आय अर्जक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सहायता प्रदान करती है। सिडबी आसान शर्तों पर महिलाओं को अनौपचारिक तरीके से ऋण प्रदान करता है । इसके अतिरिक्त सिडबी महिलाओं के लिए काम करने वाले स्वैच्छिक संगठनों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी देता है। ताकि वे ऋण को उपलब्ध कराने के साथ साथ उनके उपयोग के बारे में अपने ग्राहकों को बता सके । केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड के सामाजिक आर्थिक कार्यक्रम के तहत एक उत्पाद इकाई की स्थापना के लिए भी अनुदान उपलब्ध है।

      उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए चलाए गए कार्यक्रम--------

स्टार्ट अप इंडिया:- स्टार्ट अप इंडिया के तहत भारत सरकार स्टार्ट अप्स को प्रोत्साहित और पोषित करते हुए उद्यमशीलता को बढ़ावा देती है। यह कार्यक्रम एक समृद्ध दृष्टिकोण के साथ 4 हफ्ते का मुक्त और व्यापक ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है। इसके तहत शिक्षाविदों और उद्योग संघों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया गया है। साथ ही पूरे देश मे रिसर्च पार्क, इनक्यूबेटर और स्टार्टअप सेंटर स्थापित किए गए हैं ।

स्टेप:- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्टेप कार्यक्रम के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की उन महिलाओं को प्रशिक्षित करती है  जिनको औपचारिक दक्षता प्रशिक्षण सुविधाएं प्राप्त नहीं है। दक्षता विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और नीति आयोग ने हाल ही में मौजूदा जरूरतों के मद्देनजर तीस वर्षीय पहल के दिशा निर्देशों का मसौदा दोबारा तैयार किया है । जिसमें 16 वर्ष से अधिक आयु की सभी भारतीय महिलाएं इस पहल से लाभान्वित होगी। यह कार्यक्रम कृषि बागवानी , खाद्य प्रसंस्करण, हैंडलूम, परंपरागत कलाओं जैसे:- कशीदाकारी , यात्रा एवं पर्यटन, मेजबानी, कंप्यूटर और आईटी सेवाओं जैसे अनेक क्षेत्रों में दक्षता प्रदान करता है।

स्टैंड अप इंडिया :- इस कार्यक्रम की शुरुआत 2015 में हुई थी। इसका उद्देश्य भारत के वंचित समूहों को संस्थागत ऋण प्रदान करना है , साथ ही साथ महिला उद्यमियों , अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आर्थिक भागीदारी बढ़ाना और उन तक भारत के लाभ पहुंचाना है । इसमें कम से कम एक महिला और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के एक सदस्य  को मैन्युफैक्चरिंग, सेवा या व्यापार क्षेत्र में ग्रीन फील्ड उद्यम लगाने के लिए 10 लाख से 1 करोड़ रुपए तक का ऋण दिया  जाता है । स्टैंड अप इंडिया पोर्टल छोटे उद्यमियों के लिए एक डिजिटल मंच के रूप में कार्य करता है। और वित्त पोषण एवं ऋण गारंटी की सूचना प्रदान करता है।

व्यापार संबंधी उधमिता सहायता और विकास ( ट्रीड ):- भारत में वंचित महिला समूहों को आधार प्रदान करने के लिए ट्रीड कार्यक्रम की शुरुआत की गई । यह कार्यक्रम गैर सरकारी संगठन एनजीओ के माध्यम से इच्छुक महिलाओं को ऋण उपलब्ध कराता है। महिलाएं पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से ऋण प्राप्त कर सकती हैं । और प्रस्तावित उधमो के लिये परामर्श और प्रशिक्षण भी हाँसिल कर सकती हैं । ताकि इन्हें गैर कृषि कार्यों के लिए मार्गदर्शन प्राप्त हो।

निष्पक्ष सशक्तिकरण और विकास के लिए विज्ञान(सीड) :- सीड का लक्ष्य विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में मनोवैज्ञानिको और जमीनी स्तर के कर्मचारियों , खासतौर से महिलाओं के सामाजिक , आर्थिक लाभ हेतु कार्य- उन्मुख, स्थान विशिष्ट परियोजनाओं के लिए अवसर प्रदान करना है। इस संबंध में प्रयास किए जा रहे हैं कि राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और अन्य विशिष्ट एस एंड टी संस्थानों को जमीनी स्तर के नवाचार से जोड़ा जाए ताकि वह ने भी विशेषज्ञों , उत्तम संरचनाओं के लाभ मिल सके। सीड विकास में इक्विटी पर जो देता है जिससे वंचितों को प्रौद्योगिकी के लाभ मिल सके।

महिला उद्यमिता मंच:-  नीति आयोग ने महिला उद्यमिता मंच (WEP) की शुरुआत की। इसका उद्देश्य भारत की महिला उद्यमियों के लिए एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है । ताकि वे उद्यमशीलता की अपनी संभावनाओं को महसूस करें ; नए कार्यक्रमों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सके। और अपने व्यवसायों के दीर्घ कालीन रणनीतियों का आकलन कर सके । यह मंच महिला उद्यमियों की संख्या में वृद्धि की आकांक्षा रखता है जो एक गतिशील नए भारत का सृजन करें और उसे सशक्त बनाए। ये आकांक्षाये उन तीन स्तम्भों में प्रदर्शित होती हैं जिन पर WEP आधारित है:-
इच्छा शक्ति (उभरते हुए उधमियों को अपने उधम शुरू करने के लिए प्रेरित करना),ज्ञान शक्ति (महिला उद्यमियों की उधमशीलता को पोषित करने के लिए ज्ञान और इकोसिस्टम सहयोग प्रदान करना ) और कर्म शक्ति (उधमियों को सक्रिय योगदान करना ताकि वह अपने व्यवसाय स्थापित कर सके और उनका स्तर बरकरार रखें)
                           मुद्रा योजना
सरकार द्वारा प्रारंभ मुद्रा योजना और महिलाओं को व्यक्तिगत स्तर पर मदद प्रदान करती है जो छोटे व्यवसाय जैसी-ब्यूटी पार्लर, टेलरिंग इकाई, ट्यूशन सेंटर इत्यादि चलाना चाहती हैं। यह योजना महिला समूहों की भी मदद करती है। इस ऋण के लिए किसी प्रकार की जमानत राशि की आवश्यकता नहीं है और इसके तहत इन योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है ।

शिशु :- इस ऋण की राशि ₹50000 तक सीमित है। और शुरुआती चरणों में व्यापारियों द्वारा लाभ उठाया जा सकता है।

किशोर:- इसके तहत ऋण राशि 50000 और ₹500000 के बीच है इसका लाभ वही लोग उठा सकते हैं जिनके उधम पूर्ण रूप से स्थापित हैं।

तरुण :- इसकी ऋण राशि 1000000 रुपए है। और उन व्यवसायों द्वारा लाभ उठाया जा सकता है जो अच्छी तरह से स्थापित है। लेकिन विस्तार के लिए उन्हें और धन की आवश्यकता है।

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